( तर्ज - ईश्वरको जान बंदे ० )
तुम हो दयाल साँई !
यह भक्तसे सुना है ।
प्रिय है तुम्हें हरी - जन ,
हर कोई आ बना है || टेक ||
हम हैं गरीब मनके ,
भाती है याद तेरी ।
पर क्षण न ठहरती है ,
चंचल हि ' रूँह ' बना है ॥१ ॥
करते पुकार हरदम ,
के ' आस ले हमारी ' ।
पावन है नाम तेरा ,
दम - दममें भर धुना है ॥२ ॥
भव - दुःख यह हटाओ ,
अपने चरण लगाओ ।
तुकड्याकि आखरी यह ,
करदो जो लख लिन्हा ॥३ ॥
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